1669 में रेम्ब्रेंट वॉन रिन की 63
साल की आयु में जब मृत्यु हुई तो उन्हें चर्च के एक प्लॉट में दफ़ना दिया
गया. उन दिनों ग़रीब लोगों की मौत के 20 साल बाद उनकी अस्थियों को खोदकर
निकाल लिया जाता था और फेंक दिया जाता था.
रेम्ब्रेंट के साथ भी ऐसा ही हुआ लेकिन 1909 में आख़िरकार वेस्टरकर्क यानी एम्स्टर्डम की डच
रिफॉर्म्ड चर्च की उत्तरी दीवार में उनके नाम का एक स्मारक पत्थर उस स्थान
पर जड़ दिया गया जहां उन्हें दफ़न किया गया था. यह आज भी मौजूद है. निजी जीवन में रेम्ब्रेंट अपनी पत्नी सास्किया से पैदा हुए सभी संतानों से ज़्यादा जिए. एम्स्टर्डम की एक कंपनी के लिए की गई बड़ी चित्रकारी 'द नाइटवॉच' जिस वर्ष पूरी हुई, उसी साल सास्किया की मौत हुई.
रेम्ब्रेंट के सभी बच्चों में टीटस ही वयस्क उम्र तक जी पाया. लेकिन रेम्ब्रेंट से पहले ही उसकी भी मृत्यु प्लेग से हो गई. यह झटका अपने जीवन के आख़िरी दो दशकों में वित्तीय परेशानी से जूझ रहे रेम्ब्रेंट के लिए बहुत बड़ा था.
1656 में अब का रेम्ब्रेंट हाउस म्यूज़ियम इस चित्रकार का आलीशान घर हुआ करता था. इसी साल आर्थिक संकटों से उबरने के लिए रेम्ब्रेंट को इसे बेचना पड़ा था. उस वक़्त टीटस और हेन्ड्रीक ने उनकी आर्थिक मदद की थी. हेन्ड्रीक को रेम्ब्रेंट ने नौकरानी के तौर पर घर में रखा था. उसी वर्ष उनकी सभी कलाकृतियों की नीलामी करनी पड़ी.
इस वर्ष रेम्ब्रेंट की मृत्यु की 350वीं बरसी मनाई जा रही है और इस अवसर पर दुनियाभर में उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई है. अपने समय के इस सबसे महान चित्रकार को आख़िर ग़ुरबत ने कैसे घेर लिया?
कई वर्षों तक रेम्ब्रेंट की इस दुर्दशा को उनकी चित्रकारी 'द नाइटवॉच' से जोड़कर देखा गया.
फ़िल्म निर्देशक पीटर ग्रीनअवे के कारण इस चित्रकारी ने कई षड्यंत्रों को भी जन्म दिया. 2007 में आई उनकी फ़िल्म नाइट वॉचिंग और उसके बाद आई डॉक्यूमेंट्री रेम्ब्रेंट्स जे'क्यूज़ में यह विचार रखा गया है कि चित्रकारी में एक हत्या के षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश किया गया है. इसमें ऐसा लगता है जैसे रेम्ब्रेंट की ज़िन्दगी को ख़तरा हो जिससे बाद में उनका जीवन बर्बाद हो गया.
1936 में एलेक्ज़ेंडर कोरदा की फ़िल्म रेम्ब्रेंट की पेंटिंग में भी कुछ ऐसा ही दिखाया गया था. हर्षोल्लास के साथ जब द नाइट वॉच से पर्दा उठाया गया तो नागरिक सेना के सदस्यों और उनकी पत्नियों की चुप्पी की जगह अचानक ही पत्नियों की हंसी ने ले ली. उसके बाद सैनिकों का गुस्सा फूट पड़ा.
चार्ल्स लॉटन की रेम्ब्रेंट फिल्म में जब रेम्ब्रेंट ने अपने संरक्षक और मित्र जैन सिक्स से चित्रकारी के बारे में ईमानदारी से बताने के लिए कहा तो उसने बड़ी बेताबी से कहा कि इसमें मुझे परछाइयों, अंधेरे और भ्रांति के सिवा कुछ नहीं दिखता.
इसे गंभीर कला के रूप में नहीं लिया जा सकता. मज़े की बात यह है कि जैन सिक्स भी रेम्ब्रेंट के एक महान चित्र का विषय थे. कुछ पलों बाद ही कैप्टन बैनिंग कॉक, जिन्हें चित्र में अपने लेफ्टिनेंट के साथ सुनहरी आभा में दर्शाया गया है, उन्होंने रेम्ब्रेंट के काम को बहुत ही घटिया बताया.
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