चीन और अमरीका के आपसी टकराव में भारत को फ़ायदा मिल सकता है. वाणिज्य
विभाग की एक स्टडी के अनुसार चीन के कमोडिटी बाज़ार में भारत अमरीका की जगह
भर सकता है.
चीन ने अमरीकी उत्पादों पर भारी आयात शुल्क लगा दिया है जिस वजह से अमरीकी सामान काफ़ी महंगे हो गए हैं. ऐसे में भारत के लिए ये मौक़ा है कि वो अमरीकी वस्तुओं की जगह अपने उत्पादों को पेश कर सके.
इस स्टडी के अनुसार भारत कम से कम 100 अमरीकी उत्पादों की जगह अपने उत्पाद को चीनी बाज़ार में पेश कर सकता है.
स्टडी के अनुसार भारत के लिए यह मौक़ा है कि वो चीनी बाज़ार में कपास, बादाम, गेहूं, मक्का और ज्वार को उतारे ताकि अमरीका से खाली हुई जगह को कोई और न लपक ले.
कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने पिछले हफ़्ते लंदन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की तुलना कट्टरपंथी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से की थी. राहुल की इस तुलना से आरएसएस ने नाख़ुशी जताई थी.
अब आरएसएस अगले महीने तीन दिन का संवाद कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है जिसमें वो वक्ता के तौर पर राहुल गांधी को भी 'आमंत्रित' कर सकता है. आरएसएस का कहना है कि राहुल को समझ नहीं है इसलिए उन्होंने ऐसी तुलना की है.
आरएसएस के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अरुण कुमार ने कहा, ''राहुल ने ख़ुद ही कहा है कि वो भारत को समझने की कोशिश कर रहे हैं. जो अब भी भारत को नहीं समझ पाया है वो आरएसएस को कैसे समझ पाएगा. राहुल गांधी को पहले यह जानने की ज़रूरत है कि मुस्लिम ब्रदरहुड अलग-अलग देशों में क्या कर रहा है.'' आरएसएस इस संवाद कार्यक्रम में सीपीएम प्रमुख सीताराम येचुरी को भी बुला सकता है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि वो राहुल गांधी की उस घोषणा से ख़ुश हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि वो प्रधानमंत्री बनने के लक्ष्य से काम नहीं कर रहे हैं. पवार ने कहा कि विपक्ष का लक्ष्य बीजेपी को सत्ता से बेदख़ल करना होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि 2019 के आम चुनाव में जिस पार्टी को ज़्यादा सीटें मिलेंगी वो पीएम की कुर्सी के लिए दावा कर सकता है.
पवार ने कहा, ''चुनाव में बीजेपी को पहले सत्ता से हटाने की ज़रूरत है. हमें साथ मिलकर आगे बढ़ना है. जिस पार्टी को ज़्यादा सीटें मिलेंगी वो पीएम पद के लिए दावा पेश कर सकता है. मैं ख़ुश हूं कि कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने ऐसा ही कहा है कि वो पीएम पद की रेस में नहीं हैं.''
शरद पवार ने 2019 के लोकसभा चुनाव में ग़ैर बीजेपी दलों एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की भी वकालत की. पवार ने कहा कि बिना पीएम पद पर दावा किए 1977 और 2004 में भी चुनाव लड़े गए थे. शरद पवार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बदले बैलेट पेपर लाने की भी मांग की है.
भारत अब भी परमाणु आपूर्तिकर्ताओं के समूह न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में शामिल होने की कोशिश कर रहा है. भारत के विदेश सचिव विजय गोखले पिछले हफ़्ते रूस के दौरे पर थे. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मई महीने में रूस की अनौपचारिक यात्रा पर गए थे और उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात की थी.
भारत एनएसजी में शामिल होने के लिए ताक़तवर देशों से लॉबीइंग कर रहा है. एनएसजी उन देशों का ख़ास क्लब है जो परमाणु तकनीक और आणविक सामग्री का व्यापार करते हैं. भारत को लगता है कि वो रूस के ज़रिए इस समूह में पहुंचने की कोशिश को अंजाम तक पहुंचा सकता है.
48 सदस्यों वाला यह समूह किसी नए सदस्य को शामिल करने के लिए सहमति के सिद्धांत पर काम करता है. इस समूह में शामिल होने के लिए परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना ज़रूरी है और भारत ने अब तक इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है.
भारत का तर्क है कि परमाणु हथियारों के प्रसार के मामले में उसका रिकॉर्ड अच्छा है, इसलिए इस समूह में एनपीटी पर बिना हस्ताक्षर किए भी जगह दी जा सकती है.
म्यांमार ने संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को ख़ारिज़ किया है जिसमें कहा गया था कि रखाइन प्रांत और दूसरे इलाकों में हुए जनसंहार के लिए देश के सेना प्रमुख और पांच दूसरे बड़े सैन्य अधिकारियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलना चाहिए.
इस रिपोर्ट में उन पर युद्ध अपराध, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार के आरोप लगाए गए हैं. यह रिपोर्ट सैकड़ों साक्षात्कारों पर आधारित है और इसे म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ हुई हिंसा के लिए संयुक्त राष्ट्र की सबसे कड़ी निंदा के तौर पर देखा जा रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा के वास्तविक ख़तरों को देखते हुए कहा जा सकता है कि सेना ने लगातार भेदभाव वाली रणनीतियां अपनाईं. म्यांमार के संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि हौदो सुआन ने इस रिपोर्ट को एकतरफ़ा बताया है.
चीन ने अमरीकी उत्पादों पर भारी आयात शुल्क लगा दिया है जिस वजह से अमरीकी सामान काफ़ी महंगे हो गए हैं. ऐसे में भारत के लिए ये मौक़ा है कि वो अमरीकी वस्तुओं की जगह अपने उत्पादों को पेश कर सके.
इस स्टडी के अनुसार भारत कम से कम 100 अमरीकी उत्पादों की जगह अपने उत्पाद को चीनी बाज़ार में पेश कर सकता है.
स्टडी के अनुसार भारत के लिए यह मौक़ा है कि वो चीनी बाज़ार में कपास, बादाम, गेहूं, मक्का और ज्वार को उतारे ताकि अमरीका से खाली हुई जगह को कोई और न लपक ले.
कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने पिछले हफ़्ते लंदन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की तुलना कट्टरपंथी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से की थी. राहुल की इस तुलना से आरएसएस ने नाख़ुशी जताई थी.
अब आरएसएस अगले महीने तीन दिन का संवाद कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है जिसमें वो वक्ता के तौर पर राहुल गांधी को भी 'आमंत्रित' कर सकता है. आरएसएस का कहना है कि राहुल को समझ नहीं है इसलिए उन्होंने ऐसी तुलना की है.
आरएसएस के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अरुण कुमार ने कहा, ''राहुल ने ख़ुद ही कहा है कि वो भारत को समझने की कोशिश कर रहे हैं. जो अब भी भारत को नहीं समझ पाया है वो आरएसएस को कैसे समझ पाएगा. राहुल गांधी को पहले यह जानने की ज़रूरत है कि मुस्लिम ब्रदरहुड अलग-अलग देशों में क्या कर रहा है.'' आरएसएस इस संवाद कार्यक्रम में सीपीएम प्रमुख सीताराम येचुरी को भी बुला सकता है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि वो राहुल गांधी की उस घोषणा से ख़ुश हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि वो प्रधानमंत्री बनने के लक्ष्य से काम नहीं कर रहे हैं. पवार ने कहा कि विपक्ष का लक्ष्य बीजेपी को सत्ता से बेदख़ल करना होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि 2019 के आम चुनाव में जिस पार्टी को ज़्यादा सीटें मिलेंगी वो पीएम की कुर्सी के लिए दावा कर सकता है.
पवार ने कहा, ''चुनाव में बीजेपी को पहले सत्ता से हटाने की ज़रूरत है. हमें साथ मिलकर आगे बढ़ना है. जिस पार्टी को ज़्यादा सीटें मिलेंगी वो पीएम पद के लिए दावा पेश कर सकता है. मैं ख़ुश हूं कि कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने ऐसा ही कहा है कि वो पीएम पद की रेस में नहीं हैं.''
शरद पवार ने 2019 के लोकसभा चुनाव में ग़ैर बीजेपी दलों एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की भी वकालत की. पवार ने कहा कि बिना पीएम पद पर दावा किए 1977 और 2004 में भी चुनाव लड़े गए थे. शरद पवार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बदले बैलेट पेपर लाने की भी मांग की है.
भारत अब भी परमाणु आपूर्तिकर्ताओं के समूह न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में शामिल होने की कोशिश कर रहा है. भारत के विदेश सचिव विजय गोखले पिछले हफ़्ते रूस के दौरे पर थे. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मई महीने में रूस की अनौपचारिक यात्रा पर गए थे और उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाक़ात की थी.
भारत एनएसजी में शामिल होने के लिए ताक़तवर देशों से लॉबीइंग कर रहा है. एनएसजी उन देशों का ख़ास क्लब है जो परमाणु तकनीक और आणविक सामग्री का व्यापार करते हैं. भारत को लगता है कि वो रूस के ज़रिए इस समूह में पहुंचने की कोशिश को अंजाम तक पहुंचा सकता है.
48 सदस्यों वाला यह समूह किसी नए सदस्य को शामिल करने के लिए सहमति के सिद्धांत पर काम करता है. इस समूह में शामिल होने के लिए परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना ज़रूरी है और भारत ने अब तक इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है.
भारत का तर्क है कि परमाणु हथियारों के प्रसार के मामले में उसका रिकॉर्ड अच्छा है, इसलिए इस समूह में एनपीटी पर बिना हस्ताक्षर किए भी जगह दी जा सकती है.
म्यांमार ने संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को ख़ारिज़ किया है जिसमें कहा गया था कि रखाइन प्रांत और दूसरे इलाकों में हुए जनसंहार के लिए देश के सेना प्रमुख और पांच दूसरे बड़े सैन्य अधिकारियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलना चाहिए.
इस रिपोर्ट में उन पर युद्ध अपराध, मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और रोहिंग्या मुसलमानों पर अत्याचार के आरोप लगाए गए हैं. यह रिपोर्ट सैकड़ों साक्षात्कारों पर आधारित है और इसे म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के साथ हुई हिंसा के लिए संयुक्त राष्ट्र की सबसे कड़ी निंदा के तौर पर देखा जा रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा के वास्तविक ख़तरों को देखते हुए कहा जा सकता है कि सेना ने लगातार भेदभाव वाली रणनीतियां अपनाईं. म्यांमार के संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि हौदो सुआन ने इस रिपोर्ट को एकतरफ़ा बताया है.
Comments
Post a Comment